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जब काशी बन गयी अयोध्या,पातालपुरी मठ में हुआ भगवान श्रीराम का प्राण प्रतिष्ठा

 

संघ के वरिष्ठ प्रचारक इन्द्रेश कुमार प्राण प्रतिष्ठा के यजमान बने

श्रीराम के अयोध्या पहुंचने की खुशी में शामिल हुए हर समुदाय के लोग

वाराणसी, 22 जनवरी। उधर अयोध्या में भगवान श्रीराम के जन्मभूमि पर मन्दिर बनने और प्राण प्रतिष्ठा की खुशी और इधर काशी में अयोध्या की खुशी की वजह से खुशी। अयोध्या न पहुंच पाने वालों के लिए पातालपुरी मठ में ही भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेना कम गौरवपूर्ण नहीं था। पातालपुरी मठ में स्थापित श्रीराम जानकी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह ने काशी को अयोध्या और वातावरण को श्रीराममय बना दिया।

श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मुख्य यजमान आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार ने रामसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज सृष्टि का उत्सव है। प्रभु श्रीराम ने आज का दिन चुना अपने घर में जाने का। प्रभु के घर में जाने का मुहूर्त है, वह मुहूर्त सबसे पवित्र और सिद्ध है। इसमें जो भी भगवान से प्रार्थना करेगा उसकी इच्छा पूरी होगी। हर घर को अयोध्या मानकर अपने घरों को सजाने वाले श्रीराम के कृपा पात्र है। हमें ईश्वर ने इसी दिन के लिए रखा था कि हम भगवान श्रीराम को प्रतिष्ठित होते हुए देख सके। 140 करोड़ देशवासियों के सौभग्य है कि वो अयोध्या को सजते हुए देख रहे हैं। जैसे ही प्रभु श्रीराम की पट्टी हटाई जाएगी, वैसे ही प्रभु श्रीराम की दृष्टि भारत पर पड़ेगी और भारत विश्व गुरु की ओर बढ़ेगा। भारत की नारी की गोद में ही भगवान खेल सकते हैं। यहीं की माता भगवान को डांट सकती है और उनको प्यार करती हैं क्योंकि सनातन संस्कृति में ही भगवान श्रीराम बाल स्वरूप में आये अन्य किसी संस्कृति को यह सौभग्य प्राप्त नहीं है।

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21 वैदिक ब्राह्मणों ने मन्त्रोच्चारण के साथ भगवान श्रीराम, माता जानकी, लक्ष्मण जी की प्राण प्रतिष्ठा उसी मुहूर्त में की गयी। भगवान श्रीराम के नाम का जयकारा लगा, पूरा मठ राममय हो गया।

पातालपुरी मठ के महंत बालक दास जी महाराज एवं रामपंथ के पंथाचार्य डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने रामभक्तों को भगवान श्रीराम का दर्शन कराया। प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर भगवान श्रीराम के जन्म की कथा महंत बालक दास जी ने सुनाई। इस अवसर पर जम्मू कश्मीर के मुसलमानों ने जय सियाराम का नारा लगाया।

इस अवसर पर ज्ञान प्रकाश, डॉ० कवीन्द्र नारायण, डॉ० निरंजन श्रीवास्तव, डॉ० अर्चना भारतवंशी, डॉ० नजमा परवीन, डॉ० मृदुला जायसवाल, नाजनीन अंसारी, आभा भारतवंशी, नौशाद अहमद दूबे, नूरूल हक, नसीम रजा सिकरवार, विवेक श्रीवास्तव, अनुज पाण्डेय, अभिजीत बिसेन, श्रीराम शास्त्री, अलाउद्दीन भुल्लन, इली, खुशी, उजाला, दक्षिता आदि सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

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