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परिस्थितिजन्य भूख से पीड़ितों के लिये अनाज बैंक बना वरदान : डॉ० विनोद कुमार राय
अनाज बैंक पेटी भरने की नहीं पेट भरने की गारंटी लेता है : डॉ० राजीव श्रीगुरुजी
वाराणसी, 3 अगस्त। भूख पीड़ितों की सेवा के लिए विशाल भारत संस्थान द्वारा संचालित विश्व का पहला अनाज बैंक आज वरदान बन चुका है। सामाजिक सहभागिता से चलने वाला अनाज बैंक अधिकार विहीन एवं परिस्थितियों से जूझ रहे लोगों से बिना धर्म जाति पूछे उनका खाता खोलकर उनको प्रति माह अनाज देकर मदद करता है। अनाज बैंक उन लोगों की मदद करता है जो किसी भी तरह से काशी में आकर भूख के शिकार हो जाते हैं। अभी तेलंगाना से आये तीर्थयात्रियों का 16 सदस्यीय दल किसी तरह से भूख की पीड़ा से जूझ रहे थे। तेलंगाना की समाजसेवी जयलक्ष्मी रेड्डी ने जब यह जानकारी अनाज बैंक को दी तो तत्काल अनाज बैंक ने उनके लिए भोजन की व्यवस्था वाराणसी स्टेशन पर की। कोरोना काल में 100 दिन तक लगातार अनाज बैंक ने भूख पीड़ितों की मदद की।
अनाज बैंक द्वारा भूख की चिंता से बदलते रिश्ते विषयक संगोष्ठी एवं अनाज वितरण कार्यक्रम का आयोजन लमही के सुभाष भवन में किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि माध्यमिक शिक्षा परिषद वाराणसी के अपर सचिव डॉ० विनोद कुमार राय ने सुभाष मन्दिर में मत्था टेका, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को पुष्प अर्पित कर एवं दीपोज्वलन कर संगोष्ठी का शुभारम्भ किया।
सड़क पर फ़टे पुराने प्लास्टिक से छत बनाकर रहने वाला बाँसफोर परिवार मौसम के बदलने से भी भूख से पीड़ित हो जाता है। बांस का सूप और डलिया बनाकर जीवन यापन करने वाले बाँसफोर परिवार के बच्चों को भी भूख का सामना करना पड़ता है। अनाज बैंक ने बाँसफोर बस्ती को भूख की पीड़ा से मुक्त कराने के लिये गोद लिया है। इसके अलावा मुंशी प्रेमचंद के गांव लमही में कई ऐसे परिवार है जो परिस्थितिजन्य भूख के शिकार हैं। अनाज बैंक उनके हालात को ध्यान में रखकर उनकी भी मदद कर रहा है। 108 परिवार की महिलाओं को मुख्य अतिथि डॉ० विनोद कुमार राय ने चावल, आटा, चीनी, दाल, राजमा, नमक का वितरण किया। अनाज पाकर भूख की चिंता से मुक्त हुई महिलाओं ने अनाज बैंक को शुक्रिया कहा।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ० विनोद कुमार राय ने कहा कि भूख की समस्या वैश्विक है। परिस्थितिजन्य भूख के लिए काम करने वाला अनाज बैंक भूख पीड़ितों के लिए वरदान है। पता नहीं किसकी परिस्थिति कब खराब हो जाये, तब उसे भोजन की सुविधा कौन देगा, यह यक्ष प्रश्न है ? लेकिन अनाज बैंक बिना धर्म जाति पूछे अनाज उपलब्ध कराकर भूख से मुक्ति दिलाने का जो कार्य कर रहा है वह पीड़ित मानवता की सेवा है। भूख से बड़ी पीड़ा और क्या हो सकती है ? भूख से पीड़ित व्यक्ति को पहले भूख की समस्या से मुक्ति दिलाकर शिक्षा की गारंटी होनी चाहिए। सत्कर्म मनुष्य के मरने के बाद भी साथ जाता है। परोपकार की भावना ही मनुष्य को अंतिम लक्ष्य तक ले जाती है।
विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि भूख की वजह से कई रिश्ते बदल जाते हैं। भले ही समय खराब होने पर रिश्तेदार भूख पीड़ितों से अपने रिश्ते तोड़ लेते हों, लेकिन अनाज बैंक किसी भी परिस्थिति में भूख पीड़ितों का साथ नहीं छोड़ता। अनाज बैंक पेटी भरने की नहीं पेट भरने की गारंटी लेता है। अनाज बैंक नियमित खाताधारकों के अलावा उन लोगों की मदद भी करता है जो किसी भी परिस्थिति में भूख के शिकार हो जाते है।
अध्यक्षता कर रहे अनाज बैंक के डिप्टी चेयरमैन ज्ञान प्रकाश ने कहा कि अनाज बैंक का कई जनपदों में विस्तार हो रहा है। शीघ्र ही आदिवासी क्षेत्र में भी अनाज बैंक स्थापित करने की योजना पर कार्य चल रहा है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी अनाज बैंक स्थापित किया जाएगा।
विशाल भारत संस्थान की नेशनल कोऑर्डिनेटर आभा दीदी ने कहा कि शिक्षा प्राप्त करने के पहले पेट भरना अनिवार्य शर्त है। अनाज बैंक भूख पर काम करने वाला श्रेष्ठ मॉडल है जो सीधे भूख पीड़ितों तक पहुंचता है।
विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय परिषद सदस्य मयंक श्रीवास्तव ने कहा कि सामाजिक कूरीतियों को खत्म करने का हर उस मनुष्य का दायित्व है जिसे ईश्वर ने सक्षम बनाया है। किसी की भी मदद करने में अहम का भाव नहीं होना चाहिए।
संगोष्ठी का संचालन अनाज बैंक की प्रबन्ध निदेशक डॉ० अर्चना भारतवंशी ने किया एवं धन्यवाद विशाल भारत संस्थान के जिला चेयरमैन अभय रामदास ने दिया।
इस अवसर पर नौशाद, नजमा परवीन, नाजनीन अंसारी, डा० मृदुला जायसवाल, इली भारतवंशी, खुशी भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी, डा० धनंजय यादव, सुनीता, पूनम, प्रियंका, रमता, सरोज, प्रभावती, पार्वती, मैना देवी, बिन्दु, ममता, गीता देवी आदि लोग मौजूद रहे।
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