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आदिवासी बच्चे काशी से संस्कार पाकर बदलेंगे अपने समाज की तस्वीर : डॉ० निरंजन श्रीवास्तव

 

संस्कार प्रशिक्षण शिविर के दूसरे दिन आदिवासी बच्चों ने सीखा संवाद

विशाल भारत संस्थान बच्चों को संस्कृत के मन्त्रों में करेगा पारंगत

 

वाराणसी, 19 जुलाई। विशाल भारत संस्थान द्वारा आदिवासी एवं वंचित समाज के बच्चों के लिए लमही के सुभाष भवन में आयोजित संस्कार प्रशिक्षण शिविर के दूसरे दिन समावेशी होने का प्रशिक्षण दिया गया। शिविर के मुख्य अतिथि विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ० निरंजन श्रीवास्तव ने नेताजी सुभाष के मंदिर में दीप जलाकर एवं पुष्प अर्पित कर सत्र का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर डॉ० निरंजन श्रीवास्तव ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव बढ़ने से सबसे ज्यादा क्षति संस्कारों की हुई। वनों में रहने वाले आदिवासी समाज से संवाद करना होगा तभी उनको समाज के मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है। सभ्य समाज के लोग वंचित समाज के लोगों के साथ शब्दों का दुर्व्यवहार न करें। आदिवासी समाज को सम्मान और प्यार करने की जरूरत है। सुभाष भवन में रहने वाले आदिवासी बच्चे काशी से संस्कार सीखकर अपने समाज की तस्वीर बदलने में कामयाब होंगे। विशाल भारत संस्थान सभी संघर्ष समूहों और वंचित समाज के लोगों से वार्ता करने और समस्याओं के हल के लिए संवादक नियुक्त करेगा। आदिवासी बच्चों के साथ शहरी बच्चों का समावेशन बहुत भावुक करने वाला था। सब अपने–अपने संस्कृति के अनुभवों को एक दूसरे से साझा कर रहे थे। विशाल भारत संस्थान आदिवासी बच्चों को संस्कृत के मन्त्रों में पारंगत करेगा।

द्वितीय सत्र के वार्ताकार रामपंथ के ट्रस्टी अभय राम दास ने कहा कि आदिवासी समाज के बच्चों के माध्यम से आदिवासियों की सच्चाई जानकर उनकी समस्याओं को हल किया जा सकता है। अदिवासियों को उनके परम्पराओं से अलग कर विकसित नहीं बनाया जा सकता। उनके पूर्वजों और परम्पराओं के अनुसार ही उनके जीवन को बदलना होगा। आदिवासी बच्चे वनों के संरक्षण के साथ रामभक्ति के लिए ब्रांड अम्बेसडर बनेंगे।

संचालन इली भारतवंशी ने किया एवं धन्यवाद खुशी रमन भारतवंशी ने दिया। प्रशिक्षण में उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी, शिखा भारतवंशी, राधा भारतवंशी, रिया भारतवंशी, अकांक्षा भारतवंशी, संजू, राजकुमारी, दीपा, शिल्पा, मुन्नी, अनीता, अनु कुमारी, सीनम, विद्यावती, शिवकुमारी, सीमा, शांति, अविनाश, सुरेश आदि बच्चे शामिल रहे।

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