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पर्यावरण दिवस : नाटक के कलाकारों ने नाटक के माध्यम से प्लास्टिक के खतरे से आगाह किया।
वाराणसी, 5 जून। विशाल भारत संस्थान द्वारा संचालित विशाल भारत रंगमंच के कलाकारों ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पाण्डेयपुर चौराहे पर “ना बाबा ना” नुक्कड़ नाटक का मंचन कर प्लास्टिक का प्रयोग न करने का संदेश दिया। प्लास्टिक ने जब यह कहा कि मैं धरती को बर्बाद कर दूंगी, तो चौराहे पर चलने वाली भीड़ रुक गयी। प्लास्टिक ने अट्टाहास भरा और धरती के चारो तरफ गोल-गोल घूमने लगी तो पीछे से आवाज आई न जाने कहाँ से आई है, न जाने कहाँ को जाएगी ये प्लास्टिक। प्लास्टिक ने कहा कि बिजली गिराने मैं हूँ आयी, कहते हैं मुझको प्लास्टिक माई। धरती अपना चेहरा दिखाती है कि पहले मैं ऐसी थी अब मेरा चेहरा बदरंग हो गया है। सबसे मार्मिक दृश्य तब था जब किसी घर के फेके हुए प्लास्टिक को गाय खाकर मर जाती है। कलाकारों ने अपने लघु नुक्कड़ नाटक में प्लास्टिक को ना बाबा ना कहने का संदेश दिया है। नाटक में बनारसी अंदाज भी शामिल है। जब सब्जी बेचने वाले ने कहा कि झोला कहा है तो दूसरे सब्जी विक्रेता ने कहा कि हमसे सब्जी ले लो मैं 10 रुपया कम दूंगा और प्लास्टिक के बैग में ही सब्जी दे दूंगा। यह बनारस में पूर्णतः सत्य है। कोई झोला लेकर सब्जी खरीदने नहीं जाता। सबको प्लास्टिक ही चाहिए और सब प्लास्टिक पर प्रतिबंध भी चाहते हैं।
नाटक की लेखक और निर्देशक श्रद्धा चतुर्वेदी हैं। नाटक के पात्रों में प्रांजल श्रीवास्तव संदेश देने वाले युवा बने हैं और पीहू मालकिन, तनुश्री पृथ्वी, श्रुति पटेल प्लास्टिक, एहतेशाम सब्जी वाला, ऐमन नौकरानी, आदित्य सब्जी वाला, शिखा गाय और आकांक्षा जागरूक दर्शक की भूमिका अदा की।
विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरूजी के कहा कि जनता तक प्रभावी रूप से संदेश देने का ताकतवर माध्यम है नुक्कड़ नाटक। कला और संस्कृति ही बदलाव के वाहक हैं। ज्वलंत मुद्दों पर नुक्कड़ नाटक विशाल भारत रंगमंच द्वारा किया जाएगा।
रंगमंच के समन्वयक प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा कि नुक्कड़ नाटक से हम सीधे आम दर्शकों तक पहुंचकर अपना संदेश देने में कामयाब हो जाते हैं।
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