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डीआईजी अखिलेश चौरसिया ने किया नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अन्न योजना का उद्घाटन
वाराणसी, 26 मार्च। भूख एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या है। हर देश भूख पीड़ितों की तकलीफ से जूझ रहा है। केवल गरीबी ही भूख का कारण नहीं है, बल्कि युद्ध, आपदा जैसी परिस्थितियां भी भूख के लिए जिम्मेदार हैं। भूख के संकट से कई देश उबर नहीं पा रहे हैं। विशाल भारत संस्थान द्वारा संचालित विश्व का पहला अनाज बैंक पूरी तरह सामाजिक सहभागिता पर चलता है, जिसमें जमा खाताधारक निकासी खाताधारकों की चिंता करते हैं।
विशाल भारत संस्थान द्वारा लमही के सुभाष भवन में भूख : अंतर्राष्ट्रीय समस्या और निवारण विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वाराणसी परिक्षेत्र के डीआईजी अखिलेश चौरसिया ने सुभाष मन्दिर में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीपोज्वलन कर संगोष्ठी का शुभारम्भ किया। अनाज बैंक द्वारा घुमन्तु जातियों नट, मुसहर, बाँसफोर के लिए नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अन्न योजना का उद्घाटन डीआईजी अखिलेश चौरसिया ने पोस्टर प्रदर्शित कर किया। बाँसफोर परिवार की महिलाओं को अनाज बैंक का पासबुक और अनाज देकर अनाज बैंक ने भूख से मुक्ति की गारंटी दी।
बाँसफोर परिवार अधिकांशतः सड़क पर ही झुग्गी लगाकर डेरा डालते हैं। बांस की डलिया और सूप बनाकर अपना जीवन यापन करते है। बहुत मुश्किल से 15 दिनों के भोजन का इंतजाम कर पाते हैं और बाकी दिन मांगकर या फांके कर जीवन बिताते हैं। बच्चे स्कूल नहीं जाते, गंदगी में रहते हैं। आज यहां तो कल वहां डेरा डालकर रहने वाले नट खेल तमाशा दिखाकर जीवन चलाते है। इनको अनाज बैंक ने पासबुक उपलब्ध कराया, जिससे प्रत्येक 15 दिन पर इनको अनाज, नमक, तेल, सोयाबीन इत्यादि दिया जाएगा। बच्चों के लिए बिस्किट और चना की भी व्यवस्था है।
जब डीआईजी अखिलेश चौरसिया अनाज वितरित कर रहे थे तो सबकी आंखों में चमक थी, सबके चेहरे पर मुस्कान और संतोष। अब भूख से पीड़ित बच्चों को लेकर दर-दर नहीं भटकना पड़ेगा।
मुख्य अतिथि अखिलेश चौरसिया ने कहा कि अपनी नौकरी और अपना काम तो सभी करते हैं, लेकिन समाज सेवा वो भी उन लोगों के लिये जहाँ तक सरकार भी नहीं पहुंच पा रही है उसके लिये अनाज बैंक बधाई का पात्र है। समाज सेवा से आत्मसुख मिलता है जो अन्य किसी काम से नहीं मिलता है। अनाज बैंक के पेट भरो अभियान से मैं सदैव जुड़ा रहूंगा।
अनाज बैंक के संस्थापक डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि अनाज बैंक की विशेषता है कि अंतिम व्यक्ति को भूख की पीड़ा से मुक्ति दिलाता है और परिस्थिति जन्य भूख से पीड़ितों की सेवा के लिए 24 घण्टे तत्पर रहता है। भूख की पीड़ा से जूझ रहे देशों को अनाज बैंक जैसे मॉडल को अपनाने की जरूरत है। सामाजिक सहभागिता से भूख पीड़ितों की मदद हो सकती है। एक दूसरे के लिए त्याग की प्रवृत्ति विकसित होगी और सरकार पर समाज पूर्णतः आश्रित नहीं होगा।
विशिष्ट अतिथि एन०पी० सिंह ने कहा कि अनाज बैंक भूख से मुक्ति की गारंटी ही नहीं देता, बल्कि अपराध की ओर जाने से भी रोकता है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में कुंवर नसीम रजा सिकरवार, डॉ० कवीन्द्र नारायण, संस्कृत यूनिवर्सिटी के प्रो० राघवेन्द्र जी दुबे ने भाग लिया।
कार्यक्रम का संचालन अनाज बैंक की प्रबन्ध निदेशक डॉ० अर्चना भारतवंशी ने किया। कार्यक्रम में नजमा परवीन, डॉ० मृदुला जायसवाल, ज्ञान प्रकाश, डॉ० निरंजन श्रीवास्तव, मो० अजहरुद्दीन, ओ०पी० पाण्डेय, जय प्रताप सिंह, सूरज चौधरी, नौशाद, दीपक आर्य, अशोक सैनी, डॉ० एस०के० सिंह, विवेक श्रीवास्तव, नीतीश कुमार सिंह, कन्हैया पाण्डेय, देवेन्द्र पाण्डेय, राजेश कन्नौजिया, ओ०पी० चौधरी, अनिल कुमार पाण्डेय, डॉ० धनंजय यादव, डी०एन० सिंह, अफरोज खान, फिरोज खान, सरोज देवी, गीता, सुनीता श्रीवास्तव, रमता श्रीवास्तव किसुना देवी, प्रभावती, बिंदु, धनेसरा, चंदा, पार्वती, चमेली, सुनीता, रजिया, शबनम, ममता, सीमा, पार्वती, उर्मिला, लालती, ममता, हीरामणि, बेचना, सीमा, शिव कुमारी, उषा, मीरा, शांति, शीला, पूजा, मनीषा, पूनम श्रीवास्तव, इली भारतवंशी, खुशी भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी आदि लोगों ने भाग लिया।
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