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दलितों पिछड़ों आदिवासियों की अपमान के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे –स्वामी प्रसाद मौर्य

Report- Vedprakash Srivastava लखनऊ : राम चरित मानस को लेकर विवाद है कि थमने का नाम नहीं ले रहा। स्वामी प्रसाद मौर्य ने सुंदरकाण्ड की एक चौपाई को महिलाओं दलितों पिछड़ों और आदिवासियों को गाली देने वाला बताकर एक बार फिर मंडल और कमंडल की जिस राजनीति को हवा दी अब उसी लाइन को हटाने और बड़ा बनाने की कवायद में बीजेपी और बीएसपी भी जुट गई हैं। स्वामी को तो उनकी टिप्पणी पर न सिर्फ समाजवादी पार्टी से समर्थन मिला बल्कि उन्हें राष्ट्रीय महासचिव के पद से नवाज दिया गया।

बीजेपी बीएसपी को जवाब देते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने नवसत्ता से एक खास मुलाकात में कहा कि वो सभी धर्मों और धर्मग्रंथों का सम्मान करते हैं पर रामचरित मानस में लिखी कुछ विवादित चैपाइयों को हटाने की जो लड़ाई उन्होंने शुरू की है वो अब नहीं रुकेगी। धर्माचार्यों और तथाकथित धर्म के लंबरदारों से वो डरने वाले नहीं देश की कुल आबादी के 97 प्रतिशत महिलाओं आदिवासियों दलितों और पिछड़ों के अपमान के खिलाफ वो अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि ये कोई पहली बार नहीं है वो पहले भी सामाजिक मंचों से तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरितमानस की कुछ चैपाइयों पर आपत्ति दर्ज कराते रहे हैं, बालकाण्ड अरण्य काण्ड सुन्दर काण्ड उत्तरकाण्ड में कई जगहों पर कई चैपाइयों में जिन शब्दों का प्रयोग किया गया है वो महिलाओं आदिवासियों दलितों और पिछड़ों के न सिर्फ आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाले हैं बल्कि वो सीधे सीधे सामाजिक ताने बाने में जातीय भेदभाव करते हैं

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