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गऊ का दर्शन और स्पर्श भी कई बीमारियों का उपचार है : इन्द्रेश कुमार

वाराणसी, 30 जुलाई। “गावो विश्वस्य मातरः” की संस्कृत सूक्ति आज पूरी दुनियां को सोचने पर मजबूर कर रही है। आखिर विश्व के लोगों से गलती कहां हुई। संसाधन और समृद्धि तो बढ़ी, लेकिन शारीरिक सुख, शांति और खुशी विलुप्त होती चली गयी, इसका कारण सनातन संस्कृति को न समझना है। प्राचीन काल में भारत के ऋषि मुनियों ने गाय को विश्व की माता कहा। क्योंकि गाय केवल दूध से पालन–पोषण नहीं करती है, बल्कि अपने गोबर और गोमूत्र से औषधि प्रदान करती है। यहां तक की गऊ को स्पर्श करना और दर्शन करना भी कई बीमारियों का उपचार है। भारत की देशी गायों को षड्यंत्र के तहत खत्म करने का प्रयास किया गया और इसके स्थान पर आर्थिक लाभ के लिए जर्सी और विदेशी गायों को पालने के लिए प्रोत्साहित किया गया जिससे भारत में बीमारियां बढ़ी। शहर में गाय पालन तो मुश्किल होता चला गया।

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द के जन्मस्थली लमही में मुंशी जी के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर श्रीरामपंथ द्वारा स्थापित श्रीराम आश्रम में गऊ माता का मंदिर का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार ने गऊ माता की आरती एवं तिलक कर किया।

इस अवसर पर इन्द्रेश कुमार ने कहा कि गऊ माता मंदिर में सुबह शाम पूजा और आरती होगी, जिसमें सभी लोग भाग ले सकते हैं। दर्शन और स्पर्श का लाभ ले सकते है और गऊ माता की सेवा कर बीमारियों से मुक्त हो सकते है। जटिल बीमारियों में भी गऊ मूत्र लाभ पहुंचाता है। यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारी में भी इसका फायदा हुआ है। आज दुनियां के वैज्ञानिक भारतीय देशी गायों पर रिसर्च कर रहे हैं। गऊ माता मंदिर से काशीवासियों समेत बाहर से आने वाले पर्यटकों को दर्शन का लाभ मिलेगा।

श्रीरामपंथ के पंथाचार्य डॉ० राजीव श्रीगुरूजी ने कहा कि जो गऊ नहीं पाल सकते, उन्हें इस मंदिर में गऊ माता का दर्शन और स्पर्श करने का सुख मिलेगा। मन की शांति, शारीरिक बीमारियों से मुक्ति और रक्तचाप के लिए गऊ माता का मंदिर किसी भी दर्शनार्थी को पुण्य और लाभ पहुंचाने वाला होगा। गऊ माता का मंदिर सुबह 7 बजे से रात्रि 8 बजे तक खुला रहेगा।

गऊ माता मन्दिर की प्रभारी नाजनीन अंसारी ने कहा कि भारत की देशी गायों को दुनियां की सरकारें प्रोत्साहित करें तो उनके देशवासियों की आधी बीमारी खत्म हो जाएगी। मन्दिर में गीर नस्ल और साहीवाल नस्ल की गऊ माता हैं। जिसको गोमूत्र की जरूरत होगी उन्हें गऊ माता मंदिर उपलब्ध कराएगा।

गऊ माता मंदिर के लिए गऊ सेवक नियुक्त किये गए जिसमें मुस्लिम समाज के लोग भी शामिल हैं।

उद्घाटन के अवसर पर अर्चना भारतवंशी, नजमा परवीन, डॉ० मृदुला जायसवाल, डा० निरंजन श्रीवास्तव, ज्ञान प्रकाश जी, ओम प्रकाश पाण्डेय, धनंजय यादव, दिनेश चौधरी, सूरज चौधरी, दीपक आर्या, मृत्युंजय यादव, डा० नीलेश दत्त द्विवेदी, दिलीप कुमार सिंह, मो० अजहरूद्दीन आदि लोग मौजूद रहे।

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