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विशाल भारत संस्थान ने भूख मुक्ति दिवस के रूप में मनाया इन्द्रेश कुमार का 73 वां जन्मदिवस

वाराणसी, 18 फरवरी। दुनियां में सर्वाधिक अधिकार विहीन मुस्लिम महिलाओं की आवाज बदलते दौर में भले ही मुस्लिम देशों से उठती रही हो, लेकिन धर्म के नाम पर तीन तलाक, हलाला, अशिक्षा की कुरीति ने मुस्लिम महिलाओं को घुट–घुट कर जीने के लिये मजबूर कर दिया था। पूरी दुनियां आगे बढ़ रही थी लेकिन भारत की मुस्लिम महिलायें 21वीं सदी में भी 14वीं सदी में जीने को मजबूर थीं। इस्लामी कट्टरपंथियों का आतंक इतना था कि इन मुस्लिम महिलाओं को बचाने का तो छोड़ दीजीये, कोई उनके पक्ष में बोलने के लिये तैयार नहीं था। केवल किस्मत के भरोसे जिन्दगी जी रही मुस्लिम महिलाओं ने कभी सोचा भी नहीं था कि उनकी आजादी की बात करने वाला कोई समाज सुधारक आयेगा।
पंजाब के समाना में जन्मे इन्द्रेश कुमार वैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बड़े नेता हैं, जिससे मुसलमानों को स्वभाविक तौर पर न सिर्फ दूर रहने की सियासत की गयी बल्कि नफरत करने और डरने का अभ्यास कराया गया। संघ के बाल स्वसंसेवक इन्द्रेश कुमार ने अपना लम्बा समय जम्मू कश्मीर में प्रचारक के रूप में बिताया, जिस समय जम्मू कश्मीर आतंकवाद की आग में जल रहा था, मुस्लिम नौजवानों को बंदूक पकड़ाया जा रहा था। उस समय इन्द्रेश कुमार आतंकवादियों और कश्मीरी नौजवानों के बीच डटकर खड़े हो गये और कुछ हद तक कश्मीरी युवाओं को यह समझाने में कामयाब हुये कि पाकिस्तान द्वारा कश्मीरी युवाओं को आतंकवादी बनाकर मरवाने की योजना है, इससे कश्मीरी मुसलमान दूर रहें। यहीं से इन्द्रेश कुमार मुसलमानों के सम्पर्क में आये। बाद में मुसलमानों के दिलों से संघ के प्रति नफरत के भाव को खत्म करने के लिये मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का गठन किया और लाखों मुसलमानों को जोड़ने में कामयाब हुये। जो मुसलमान संघ से नफरत कर रहे थे, अब वही संघ के करीब आ गये। इन्द्रेश कुमार को जब मुस्लिम महिलाओं के बदतर जिन्दगी का पता चला तो वर्ष 2013 में काशी से उठी मुस्लिम महिलाओं की तीन तलाक के खिलाफ आवाज को बुलन्दी प्रदान की। कोई सोचा भी नहीं था कि अधिकार विहीन मुस्लिम महिलायें एकत्र हो सकती है। फतवों और हमलों के डर से आगे निकलती मुस्लिम महिलाओं को पूरे देश में इन्द्रेश कुमार ने बेटी और बहन के रूप में सहयोग किया और इनकी आवाज मुखर हुयी। 21वीं सदी के महान समाज सुधारकों ने हिन्दू धर्म में सुधारों की तो वकालत की थी लेकिन मुस्लिम समाज की इतनी घिनौनी कुप्रथा को खत्म करने का साहस किसी ने नहीं किया। यह साहस इन्द्रेश कुमार ने कर दिखाया। भारत में पहली बार धर्म के नाम पर सैकड़ों वर्षों से अत्याचार झेल रही मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से इन्द्रेश कुमार ने आजादी दिलाकर समाज सुधार के क्षेत्र में मील का पत्थर गाड़ दिया।
इन्द्रेश कुमार ने अनाज बैंक द्वारा चलाये जा रहे पेट भरो आन्दोलन का समर्थन किया। बच्चों को भूख से मुक्ति के लिये अभियान चला। इन्द्रेश कुमार के जन्मदिवस पर विशाल भारत संस्थान एवं मुस्लिम महिला फाउण्डेशन ने सुभाष भवन लमही में 73 वां जन्मदिवस भूख मुक्ति दिवस के रूप में मनाया। सुभाष मंदिर में 73 दीप जलाये गये, 73 गांठ बांधे गये और भोजभात कराया गया। अनाज बैंक की सभी शाखाओं ने अनाज वितरित किया। अनाज बैंक द्वारा बच्चों को भोजन कराकर भूक्त से मुक्ति दिलायी गयी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विशाल भारत संस्थान के अध्यक्ष डा० राजीव श्रीगुरूजी ने इन्द्रेश कुमार के कार्यों, समाज सुधार, हिन्दू–मुस्लिम एकता के लिये किये गये प्रयासों पर चर्चा की।
मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाजनीन अंसारी ने कहा कि इन्द्रेश कुमार का कद भारतीय इतिहास में नेहरू से कहीं ऊंचा है। नेहरू परिवार ने कट्टरपंथियों के इशारे पर मुस्लिम महिलाओं की जिन्दगी को गुलाम बनाने की दीर्घावधि योजना बना दी थी, लेकिन इन्द्रेश कुमार ने तीन तलाक से आजादी दिलाकर मुस्लिम महिलाओं को गुलामी से मुक्त करा दिया। इस अवसर पर अर्चना भारतवंशी, नजमा परवीन, डा० मृदुला जायसवाल, खुशी रमन भारतवंशी, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी, रेखा देवी, सरोज देवी, गीता देवी, मैना देवी, किरन, मो० अजहरूद्दीन, सूरज चौधरी, देवेन्द्र पाण्डेय, कन्हैया पाण्डेय, गुलाम फारूख, रिद्धि शाह, रजनी शर्मा, सोनिया जैन, लक्ष्मी, गौरी, अल्का आदि लोगों ने भाग लिया।

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