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सुभाषचन्द्र बोस होते तो दुनियां का सिरमोर होता हिन्दुस्तान : डॉ० राजीव श्रीगुरुजी

   

नेताजी  के राजनैतिक दर्शन से ही भारत को एक सूत्र में बांधा जा सकता है  : शिव प्रसाद तिवारी

वाराणसी, 31 अक्टूबर। दुनियां के सभी सुभाषवादी संगठनों ने अपने आराध्य नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के 125वीं जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाने का फैसला लिया है। उनके राजनैतिक दर्शन, उनके त्याग और देश के लिए किए गए कार्यों को घर-घर तक पहुंचाने की योजना बनाई गई है। नेताजी के विचारों को घर-घर तक पहुंचाने के लिए देशभर में संगोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में सुभाषवादी मजदूर संगठन ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेन्टर (TUCC) और विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में लमही के सुभाष भवन में “नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के राजनैतिक दर्शन की प्रासंगिकता” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में आये अतिथियों में प्रसिद्ध साहित्यकार राघव शरण शर्मा, प्रसिद्ध सुभाषवादी विचारक जयंत वर्मा, ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेन्टर के महासचिव शिव प्रसाद तिवारी ने पहले सुभाष मन्दिर में नेताजी सुभाष का दर्शन किया, माल्यार्पण किया एवं आरती की। सुभाष मन्दिर की पुजारी खुशी रमन भारतवंशी ने विधिवत पूजा-पाठ कराया और प्रसाद दिया।
बाल आज़ाद हिन्द बटालियन ने सेनापति दक्षिता भारतवंशी के नेतृत्व में अतिथियों को सलामी दी एवं इली भारतवंशी, खुशी भारतवंशी, उजाला भारतवंशी ने सुभाष कथा का मंचन कर नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के चरित्र को जीवंत किया। सुभाष भवन दो सुभाषवादी संगठनों के गठबंधन का भी गवाह बना।
विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने मुख्य अतिथि ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेन्टर के महासचिव शिव प्रसाद तिवारी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की पीतल की मूर्ति भेंट की।


संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के राजनैतिक दर्शन एकता, विश्वास और त्याग पर आधारित है। देश को एक सूत्र में बांधने, देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने में नेताजी के विचारों की प्रासंगिकता सदैव बनी रहेगी। आज़ादी के समय देश के नेताओ ने सुभाष के विचारों की उपेक्षा करके विभाजन के रूप में परिणाम देख लिया। नेताजी के विचारों को घर-घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हर सुभाषवादी की है। देश के प्रत्येक सुभाषवादी संगठनों से हम गठबंधन करेंगे और सुभाष के विचारों और उनके कार्यों को लोगो के दिलो-दिमाग तक पहुंचाएंगे।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि TUCC के महासचिव शिव प्रसाद तिवारी ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की विचारधारा जन-जन तक पहुंचायी जाये, सुभाषवाद के बारे में जागरूक किया जाये। सुभाषवादी लोगों के लिये अमृत महोत्सव बहुत महत्वपूर्ण नहीं है। 75 वर्षों में सुभाषवादी दर्शक और सुभाष के कार्यों को गायब करने का काम सरकारों ने किया। मोदी सरकार ने 100 फाइलों को सार्वजनिक किया। 21 अक्टूबर को पहली बार लाल किले पर झण्डा फहराया और राष्ट्रीय मर्यादा प्रदान की। अण्डमान में द्वीप का नाम सुभाष के नाम पर रखा। जब हम सुभाषवाद की बात करते हैं तो सुभाष को जनता के सामने लाने के लिये जो कदम उठायेगा उसी का साथ हम देंगे। सुभाष ने जो समाज व्यवस्था की व्याख्या की थी उसे लागू करना होगा। सुभाष ने विभेद मुक्त समाज की कल्पना की थी। प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार देना सुभाष का दर्शन था। दुनियां में जहां भी क्रांतियां हुयी वहां का समाज आगे बढ़ेगा। सुभाष के पास मुल्क को आगे बढ़ाने का रोडमैप था। नेताजी सुभाष एक राष्ट्रवादी और देशभक्त थे। सुभाष ने अपने दर्शन में राष्ट्र की संस्कृति को शामिल किया। 80 साल पहले नेताजी ने सोचा था कि बिना राष्ट्र की संस्कृति को अपनाये अखण्ड भारत नहीं बन सकता। अखण्ड भारत की परिकल्पना नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की ही थी। नेताजी ने कहा था धर्म व्यक्ति की भावना संनिहित, धर्म प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है। भारत में राष्ट्रवाद की एक नयी सोच नेताजी ने पैदा की। हम कामगार को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना प्रत्येक सुभाषवादी का कर्त्तव्य है। नेताजी की विचारधारा इतिहास में दर्ज की गयी होती तो देश आज बहुत ऊँचाई पर होता।
संगोष्ठी का संचालन अशोक सहगल ने दिया एवं धन्यवाद विशाल भारत संस्थान की राष्ट्रीय महासचिव अर्चना भारतवंशी ने दिया। संगोष्ठी में मो० अजहरूद्दीन, नजमा परवीन, नाजीनन अंसारी, डा० मृदुला जायसवाल, फहीम अहमद, मयंक श्रीवास्तव, धनंजय यादव, रोहित राज, डी०एन० सिंह, विवेक श्रीवास्तव, हितेन्द्र श्रीवास्तव, नाजिम अंसारी, शंकर बोस, मेराजुद्दीन, शाहिद अंसारी, अंसारूल हक, इब्राहिम अंसारी, अब्दुल सलाम, शहंशाह आदि लोग मौजूद रहे।

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