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अपने मन को मंदिर बनाने की आवश्यकता है–, आचार्य आनंद वर्धन ब्रह्मचारी
गाजीपुर 19 अक्टूबर आनंद मार्ग स्कूल गाज़ीपुर द्वारा आज 300 जरूरतमंद लोगों को नगर के टैक्सी स्टैंड,बंजारिपुर में भोजन बांटा गया । लोगों ने चावल सब्जी और चोखा बड़े चाव से खाया।
यह नारायण सेवा प्रधानाचार्य एवं गाज़ीपुर डी टी एस आचार्य आंनद वर्धन ब्रह्मचारी के नेतृत्व में संपन्न हुआ । आचार्य जी का कहना है service to humanity is service to God। ईश्वर प्रत्येक जीव में है जीवों की सेवा परमात्मा की ही सेवा है यह विश्व परमात्मा की ही मानस अभिव्यक्ति है। परमात्मा को ढूंढने के लिए उन्हें पाने के लिए हमे काशी, पूरी उज्जयनी, मक्का , वृंदावन या जेरूसलम आदी जाने अव्यशक्ता नहीं है। अपितु अपने में को काशी , पूरी , मक्का वृंदावन , जेरूसलम बनने की जरूरत है। अपने मन को मंदिर बनाने की आव्यशकता है। जब हम ऐसा करेंगे तब हम स्वयं में उपस्थित परमात्मा को देख पाएंगे हम समझ पाएंगे के हम ही ब्रह्म है हम ही परमात्मा है। फिर कोई द्वैत या द्वंद न होगा। पूरा विश्व हमे अपना सा लगने लगेगा। सबों में हम परमात्मा को देख पाएंगे फिर इस विश्व को परमात्मा के मानस अभिव्यक्ति के रूप में देख कर उनकी सेवा कर पाएंगे। एक ऐसा तप कर पाएंगे जिसके बदले में पाने की कोई इच्छा नहीं होगी। तब जाकर वसुधैव कुटुंबकम् की भावना फलित होगी। फिर कोई भेद भाव न होगा कोई पराया न होगा ऊंच नीच , अमीर गरीब न होगा, न तो जात पात, होगा न ही किसी प्रकार का शोषण होगा ना अराजकता । एक ऐसे सुंदर मानव समाज का निर्माण होगा जिसके लिए मानव आज तक तरसता रहा है। हम सभी एक साथ अपने पूर्णता कि ओर अग्रसर हो पाएंगे। लेकिन ये बड़ी बड़ी बातों से नहीं होगा केवल शास्त्र , दर्शन, के अध्ययन से नहीं होगा ना ही तर्क वितर्क से। इसके लिए हमें अपने मन को विस्तार करने की आवश्कता है।जिसके लिए ब्रह्मी साधना की जाती है ताकि हम स्वयं में परमात्मा , ब्रह्म को अनुभव कर सके।आनन्द मार्ग हमें ब्रह्मी साधना सिखाता है ताकि प्रत्येक मनुष्य का कल्याण हो सके। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से स्कूल मैनेजर शैल सर , टीचर इंचार्ज दया सर, प्रीतेश सर , ओमप्रकाश सर, मंजीत सर, का योगदान रहा।
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