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अनाज बैंक ने मुंशी प्रेमचन्द के गाँव को भूख से मुक्ति की गारंटी दी

भूख पीड़ित परिवारों की सेवा 24 घण्टे : डॉ० राजीव श्रीगुरुजी

वाराणसी, 16 अक्टूबर। कभी कथा सम्राट मुंशी प्रेमचन्द ने अपने पैतृक गाँव लमही के गरीबी का जिक्र अपनी कहानियों में किया था। उनकी एक कहानी ‘कफन’ में कफन के लिए जुटाए गए पैसे से भोजन करने का जिक्र है। आज भी उनके गाँव में कुछ ऐसे परिवार हैं जो कड़ी मशक्कत के बाद भी दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पाते। एक तो गरीबी ऊपर से कोरोना का कहर दोनों ने मिलकर गरीबों की कमर तोड़ दी।
ऐसे में विशाल भारत संस्थान द्वारा संचालित विश्व का पहला अनाज बैंक लमही गाँव के लिए वरदान साबित हुआ। लमही गाँव की रहने वाली 70 वर्षीय सोनरा देवी अपने परिवार की मारी हुई हैं। एक लड़के ने घर से निकाल दिया और दूसरा बेटा पागल है। सोनरा देवी को अपने और अपने पागल बेटे के लिए रोज खाने का इंतजाम करना पड़ता था। कभी कोई तरस खाकर दे दिया तो पेट भर गया नहीं तो खाली पेट ही सो जाती थी। भूख की पीड़ा क्या होती है कोई 70 साल की सोनरा देवी से पूछ ले। अब इस उमर में वो करें भी तो क्या करें। पढ़ी-लिखी होती भी तो इस उमर मे कौन नौकरी दे देता। मुंशी प्रेमचन्द होते तो इनके ऊपर कहानी जरुर लिख देते। जब से सुभाष भवन में अनाज बैंक खुला है तब से सोनरा देवी को भूख की चिंता नहीं है। उनका सम्मान के साथ अनाज बैंक में निकासी खाता खोला गया है और प्रति सप्ताह उनको अनाज बैंक अनाज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराता है। सोनरा देवी और उनका बेटा दोनों को भूख से मुक्ति की गारंटी मिल गई है।
विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर भले ही संयुक्त राष्ट्र संघ की सभी संस्थायें जिस समय चिंता व्यक्त कर रही होंगी ठीक उसी समय लमही के इन्द्रेश नगर के सुभाष भवन में स्थित अनाज बैंक सोनरा देवी जैसे भूख से पीड़ित चरित्रों पर लम्बे व्याख्यान नहीं आयोजित किया बल्कि अनाज देकर भूख से पीड़ा की चिंता खत्म की और उनके चेहरे पर मुस्कान वापस लाया। अनाज बैंक के संस्थापक चैयरमैन डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने लमही के 70 परिवारों को अनाज देकर भूख से मुक्ति की गारंटी दी ।
इस अवसर डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि अनाज बैंक भूख पीड़ित परिवारों की सेवा के लिए 24 घण्टे काम करता है। कोई भी भूख पीड़ित सुभाष के बाहर लगी अनाज की घण्टी जब दबायेगा तब उसको अनाज की मदद दी जाएगी। अनाज बैंक का नारा है कोई भी भूखा न सोए। लमही गाँव को भूख से मुक्ति की गारंटी देना अनाज बैंक की जिम्मेदारी है। अभी अनाज बैंक 2200 परिवारों को अनाज वितरित कर रहा है। विश्व खाद्य दिवस को भोजन के अधिकार के रूप में मनाया गया।
अनाज बैंक की प्रबन्ध निदेशक अर्चना भारतवंशी ने कहा कि अनाज बैंक की अन्य शाखाएँ अन्य जिलों में भी खोली जा रही है और भूख से पीड़ित परिवारों का सर्वे कराकर भूख से मुक्ति की गारंटी दी जा रही है।
इस अवसर पर अनाज बैंक की प्रबंधक इली भारतवंशी, डॉ० मृदुला जायसवाल, नजमा परवीन, नाजनीन अंसारी, उजाला भारतवंशी, खुशी रमन भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी ने अनाज वितरण में सहयोग किया।

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